मिनी फ्रैगमेंट के मतलब होला कौनों प्रकार के आर्थोपेडिक इम्प्लांट के इस्तेमाल छोट हड्डी आ हड्डी के टुकड़ा सभ के ठीक करे खातिर कइल जाला, आमतौर पर व्यास के 2.0 से 3.5 मिमी नाप के। एह इम्प्लांट सभ के इस्तेमाल आमतौर पर हाथ आ पैर के सर्जरी में होला, साथ ही साथ अउरी सर्जरी भी होला जेह में हड्डी के छोट-छोट टुकड़ा होला। मिनी फ्रैगमेंट इम्प्लांट सभ के डिजाइन स्थिर फिक्सेशन आ ठीक होखे के बढ़ावा देवे खातिर बनावल गइल बा, आ अलग-अलग सर्जिकल जरूरत सभ के समायोजित करे खातिर बिबिध आकार आ आकार में उपलब्ध बा। ई आमतौर पर टाइटेनियम भा स्टेनलेस स्टील नियर जैवसंगत सामग्री सभ से बनल होलें आ आमतौर पर बिसेस उपकरण सभ के इस्तेमाल से डालल जालें।
अलग-अलग एनाटोमिकल लोकेशन आ हड्डी के साइज में फिट होखे खातिर मिनी फ्रैगमेंट प्लेट सभ बिबिध प्रकार आ साइज में उपलब्ध बाड़ी। कुछ आम प्रकार के मिनी टुकड़ा प्लेट में शामिल बा:
एक तिहाई ट्यूबलर प्लेट: इनहन के इस्तेमाल हड्डी के छोट टुकड़ा भा छोट हड्डी के टुकड़ा सभ खातिर होला जेह में फिक्सेशन खातिर सीमित जगह होला, जइसे कि हाथ, कलाई आ टखना में।
टी-प्लेट: एह प्लेट सभ के इस्तेमाल आमतौर पर डिस्टल रेडियस, टखना आ कैल्केनस के फ्रैक्चर सभ में होला।
एल-प्लेट: एह प्लेट सभ के इस्तेमाल फ्रैक्चर सभ में होला जेह में हड्डी के लंबा अक्ष के लंबवत फिक्सेशन के जरूरत होला, जइसे कि डिस्टल फेमोरल फ्रैक्चर में।
एच-प्लेट: एह प्लेट सभ के इस्तेमाल प्रोक्सिमल टिबिया के फ्रैक्चर सभ में होला, साथ ही साथ गैर-यूनियन सभ के इलाज में भी होला।
वाई-प्लेट: एह प्लेट सभ के इस्तेमाल प्रोक्सिमल ह्यूमरस, हंसली, आ डिस्टल फीमर के फ्रैक्चर खातिर कइल जाला।
हुक प्लेट: एह प्लेट सभ के इस्तेमाल जटिल फ्रैक्चर सभ में कइल जाला जहाँ परंपरागत प्लेटिंग तकनीक सभ के संभव ना होखे भा फेल ना होखे, जइसे कि पार्श्व टिबिया पठार के फ्रैक्चर में।
इहाँ इहो बतावल जरूरी बा कि इस्तेमाल होखे वाला मिनी टुकड़ा प्लेट के प्रकार आ आकार विशिष्ट फ्रैक्चर पैटर्न आ सर्जन के पसंद पर निर्भर करी।
लॉकिंग प्लेट सभ आमतौर पर जैवसंगत सामग्री जइसे कि टाइटेनियम, टाइटेनियम मिश्र धातु, या स्टेनलेस स्टील से बनल होखे लीं। एह सामग्री सभ में बेहतरीन ताकत, कठोरता, आ जंग प्रतिरोध होला, जेकरा चलते ई आर्थोपेडिक इम्प्लांट में इस्तेमाल खातिर आदर्श बाड़ें। एकरा अलावे इ अक्रिय होखेला अवुरी शरीर के ऊतक के संगे रिएक्शन ना करेला, जवना से रिजेक्शन चाहे सूजन के खतरा कम हो जाला। कुछ लॉकिंग प्लेट सभ पर भी हाइड्रोक्सीअपैटाइट भा अउरी कोटिंग नियर सामग्री सभ के लेप लगावल जा सके ला जेह से कि हड्डी के ऊतक के साथ इनहन के एकीकरण में सुधार हो सके।
टाइटेनियम आ स्टेनलेस स्टील दुनों प्लेट के इस्तेमाल आमतौर पर आर्थोपेडिक सर्जरी में होला, जवना में लॉकिंग प्लेट सभ खातिर भी सामिल बा। दुनों सामग्री के बीच के चुनाव कई गो कारक पर निर्भर करे ला, जवना में सर्जरी के प्रकार, रोगी के मेडिकल हिस्ट्री आ पसंद, आ सर्जन के अनुभव आ पसंद सामिल बा।
टाइटेनियम एगो हल्का आ मजबूत सामग्री हवे जे जैवसंगत होला आ जंग के प्रतिरोधी होला, जेकरा चलते ई मेडिकल इम्प्लांट सभ खातिर एगो बेहतरीन विकल्प बा। टाइटेनियम प्लेट स्टेनलेस स्टील के प्लेट के मुक़ाबले कम कठोर होखेला, जवन कि हड्डी प तनाव के कम करे में मदद क सकता अवुरी ठीक होखे में मदद क सकता। एकरे अलावा, टाइटेनियम प्लेट सभ में रेडियोलुसेंट ढेर होलें, मने कि ई एक्स-रे भा एमआरआई नियर इमेजिंग टेस्ट में बाधा ना डाले लें।
दूसर ओर स्टेनलेस स्टील एगो मजबूत अवुरी कड़ा सामग्री ह जवन कि जैवसंगत अवुरी जंग के प्रतिरोधी भी बा। एकर इस्तेमाल आर्थोपेडिक इम्प्लांट में दशकन से हो रहल बा आ ई एगो आजमावल सामग्री हवे। स्टेनलेस स्टील के प्लेट टाइटेनियम प्लेट से कम महंगा होला, जवन कुछ मरीजन खातिर एगो विचार हो सकेला।
टाइटेनियम प्लेट सभ के इस्तेमाल अक्सर सर्जरी में कइल जाला काहें से कि इनहन के बिसेस गुण होला जे इनहन के मेडिकल इम्प्लांट खातिर एगो आदर्श सामग्री बनावे ला। सर्जरी में टाइटेनियम प्लेट के इस्तेमाल से कुछ फायदा में शामिल बा:
जैव संगतता: टाइटेनियम बहुत जैव संगत होला, मने कि एकरा से एलर्जी के प्रतिक्रिया होखे के संभावना कम होला या शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली से रिजेक्ट होखे के संभावना होला। एह से ई मेडिकल इम्प्लांट में इस्तेमाल खातिर सुरक्षित आ विश्वसनीय सामग्री बन जाला।
ताकत आ स्थायित्व: टाइटेनियम सभसे मजबूत आ टिकाऊ धातु सभ में से एक हवे, जेकरा चलते ई अइसन इम्प्लांट सभ खातिर एगो आदर्श सामग्री बा जेकरा रोजमर्रा के इस्तेमाल के तनाव आ तनाव के सामना करे के जरूरत बा।
जंग प्रतिरोध: टाइटेनियम जंग के बहुत प्रतिरोधी होला आ शरीर के शरीर के तरल पदार्थ भा अन्य सामग्री सभ के साथ रिएक्शन करे के संभावना कम होला। एह से समय के साथ इम्प्लांट के जंग लागे भा नीचा देखावे से रोके में मदद मिलेला।
रेडियोपैसिटी: टाइटेनियम बहुत रेडियोपैक हवे, मने कि एकरा के एक्स-रे आ अउरी इमेजिंग टेस्ट सभ पर आसानी से देखल जा सके ला। एहसे डाक्टरन के इम्प्लांट पर नजर राखल आ ई सुनिश्चित कइल आसान हो जाला कि ऊ सही तरीका से काम करत बा.